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राजस्थान जिला दर्शन : 'जयपुर जिला दर्शन' |
भारत का पेरिस, गुलाबी नगर, दूसरा वृंदावन, पूर्व का पेरिस, वैभव नगरी आदि के उपनाम से प्रसिद्ध राजस्थान के Jaipur नगर का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा 18 नवंबर 1727 को विख्यात बंगाली वास्तुशिल्पी विद्याधर भट्टाचार्य के निर्देशन में 90 डिग्री कोण सिद्धांत पर करवाया गया था। Jaipur शहर का पूर्व नाम जयनगर था। Jaipur के नरेश सवाई रामसिंह द्वितीय ने 1863 में Jaipur की सभी इमारतों को प्रिंस अल्बर्ट एडवर्ड के Jaipur आगमन पर गुलाबी रंग से रंगवाया था। इसी कारण Jaipur को गुलाबी नगर कहा जाने लगा। बिशप हैबर ने भी इस नगर के बारे में कहा है कि नगर का परकोटा मास्को के क्रेमलिन नगर के समान है।
Jaipur के उपनाम / प्राचीन नाम
- सिटी ऑफ आइसलैंड
- रंग श्री द्वीप
- गुलाबी नगर
- पिंक सिटी
- हेरिटेज सिटी
- राजस्थान की राजधानी
- वैभव द्वीप
- पूर्व का पेरिस
- रत्न नगरी
- पन्ना नगरी
- भारत का पेरिस
- दूसरा वृंदावन
Jaipur का सामान्य परिचय
- Jaipur का क्षेत्रफल : 11143 वर्ग किलोमीटर
- Jaipur में तहसीलों की संख्या : 13
- Jaipur में उप तहसीलों की संख्या : 5
- Jaipur में उपखंडों की संख्या : 13
- Jaipur में ग्राम पंचायतों की संख्या : 488
Jaipur जिले की मानचित्र में स्थिति एवं विस्तार
- अक्षांशीय स्थिति : 26 डिग्री 23 मिनट उत्तरी अक्षांश से 27 डिग्री 51 मिनट उत्तरी अक्षांश तक।
- देशांतरीय स्थिति : 74 डिग्री 55 मिनट पूर्वी देशांतर से 76 डिग्री 50 मिनट पूर्वी देशांतर तक।
Jaipur जिले के विधानसभा क्षेत्र
Jaipur जिले में कुल 19 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनके नाम निम्नानुसार है :-
- सांगानेर
- विद्याधर नगर
- मालवीय नगर
- किशनपोल
- विराट नगर
- शाहपुरा
- चाकसू
- फुलेरा
- सिविल लाइंस
- आमेर
- झोटवाड़ा
- दूदू
- आदर्श नगर
- जमवारामगढ़
- चोमू
- बगरू
- बस्सी
- हवामहल
- कोटपूतली
2011 की जनगणना के अनुसार Jaipur जिले की जनसंख्या / घनत्व / लिंगानुपात / साक्षरता के आंकड़े
- Jaipur की कुल जनसंख्या : 6626178
- Jaipur का लिंगानुपात : 910
- Jaipur में जनसंख्या घनत्व : 595
- Jaipur की साक्षरता दर : 75.5%
- Jaipur की पुरुष साक्षरता दर : 86.1%
- Jaipur में महिला साक्षरता दर : 64%
Jaipur जिले के प्रमुख मेले और त्योहार
गणगौर मेला - गणगौर मेला Jaipur में चैत्र शुक्ला तीज व चौथ को भरता है।
तीज की सवारी एवं मेला - यह Jaipur में श्रावण शुक्ला तृतीया को आयोजित होता है।
बाणगंगा मेला - यह विराटनगर, Jaipur में वैशाख पूर्णिमा को भरता है।
शीतलामाता का मेला - यह मेला चाकसू, Jaipur में चैत्र कृष्ण अष्टमी को भरता है।
गधों का मेला - आश्विन कृष्ण सप्तमी से आश्विन कृष्ण एकदशी तक लुनियावास (सांगानेर) गांव में भरता है।
Jaipur के प्रमुख मंदिर | Jaipur के शीर्ष मंदिर
✍ शाकंभरी माता का मंदिर ➡️
सांभर के चौहानों की कुलदेवी शाकंभरी माता का यह मंदिर सांभर के निकट देवयानी ग्राम के पास स्थित है। यहां पर भाद्रपद शुक्ल 8 को मेला लगता है। यह शाकम्भरी चौहान वंश की पहली राजधानी थी।
✍गलता जी तीर्थ, Jaipur ➡️
'Jaipur के बनारस' के नाम से प्रसिद्ध गालव नामक ऋषि का तपस्या स्थल गलताजी तीर्थ एक प्राचीन प्रसिद्ध पवित्र कुंड है। यहां गालव ऋषि का आश्रम था। वर्तमान में इस क्षेत्र में बंदरों की अधिकता के कारण इसे मंकी वैली के नाम से भी जाना जाता है। गलता जी को उत्तर तोताद्रि माना जाता है। यहां पर रामानंदी संप्रदाय की पीठ की स्थापना संत कृष्णदास पयहारी ने की थी। यहां पर मार्गशीर्ष कृष्ण प्रतिपदा को गलता स्नान का विशेष महात्म्य है। पर्वत की सर्वाधिक ऊंचाई पर सूर्य मंदिर गलता जी, Jaipur में है। इसे राजस्थान की मिनी काशी या छोटी काशी भी कहते है।
✍ बिड़ला मंदिर (लक्ष्मी-नारायण मंदिर )➡️
प्रसिद्ध उद्योगपति गंगाप्रसाद बिड़ला के हिंदुस्तान चैरिटेबल ट्रस्ट ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर में बी. एम. बिड़ला संग्रहालय स्थित है, जो पर्यटन की दृष्टि से बहुत ही आकर्षक है। यह राजस्थान का एकमात्र मंदिर है जो हिन्दू, मुस्लिम एवं ईसाई डिजाइन से बना है। यह मंदिर एशिया का प्रथम वातानुकूलित मंदिर है।
✍ देवयानी, Jaipur ➡️
यह सांभर के समीप देवयानी गांव में एक पौराणिक तीर्थ है। यहां प्रसिद्ध देवयानी कुंड स्थित है। जिसमें वैशाख पूर्णिमा को एक विशाल स्नान पर्व का आयोजन किया जाता है।सांभर (Jaipur) के निकट स्थित देवयानी को सब तीर्थों की नानी कहा जाता है।
✍ श्री गोविंद देव जी मंदिर ➡️
इस मंदिर का निर्माण Jaipur के संस्थापक सवाई जयसिंह द्वारा सन 1735 में करवाया गया था। यह मंदिर मुख्यत गौड़ीय सम्प्रदाय का है। इस मंदिर में गोविन्द देवजी की प्रतिमा वृन्दावन से लेकर प्रतिस्थापित की गयी है। यह मंदिर Jaipur के सिटी पैलेस के पीछे स्थित जयनिवास बगीचे के बीच स्थित है। गोविन्द देवजी Jaipur के आराध्य देव है। Jaipur के राजा गोविन्द देवजी को अपना शासक एवं स्वयं को उसका दिवान मानते थे। यहां स्थित सतसंग भवन विश्व में बिना खम्भों वाला सबसे बड़ा भवन है। जिसका नाम "गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड" में भी दर्ज है।
✍ शीतला माता, चाकसू (Jaipur)➡️
शीतला माता का मंदिर शील की डूंगरी, चाकसू (Jaipur) में स्थित हैं। शीतला माता का वाहन गधा एवं परम्परागत पुजारी कुम्हार होता है। शीतला माता का प्रतीक चिह्न - मिटटी की कटोरियाँ (दीपक) हैं। शीतलामाता के मंदिर का निर्माण महाराजा श्री माधोसिंह ने करवाया था। शीतला माता के उपनाम - सैढ़ल माता, बच्चों की संरक्षिका, बास्योड़ा, चेचक व बोदरी की देवी, महामाई आदि। शीतला माता राजस्थान की एकमात्र ऐसी देवी है, जिसकी खंडित रूप में पूजा की जाती है। इनकी पूजा बाँझ स्त्रियां करती है। शीतला माता का मेला चैत्र कृष्ण अष्टमी (शीतलाष्टमी) को भरता है। इस अवसर पर खेजड़ी वृक्ष की पूजा की जाती है।
✍ जगत शिरोमणि मंदिर, आमेर➡️
आमेर के जगत शिरोमणि मंदिर का निर्माण राजा मानसिंह प्रथम की पत्नी कनकावती ने अपने पुत्र जगत की याद में करवाया था। इस मंदिर में भगवन श्री कृष्ण की मूर्ति भी है। इस मंदिर को मीरा मंदिर भी कहते है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के गर्भगृह में वहीं मूर्ति है, जिसकी मीरा आराधना किया करती थी।
✍ गणेश मंदिर➡️
गणेश मंदिर Jaipur में जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर मोती डूंगरी की तलहटी में स्थित है। यहां पर प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी पर एक विशाल मेला भरता है।
✍ जमुवाय माता का मंदिर➡️
जमुवाय माता को आमेर के कच्छवाहों की कुल देवी कहा जाता है। इस मंदिर का निर्माण कछवाहा वंश के संस्थापक दुल्हराय ने करवाया था। जमुवाय माता की मूर्ति के पास गाय एवं बछड़े की प्रतिमा है।
✍ ज्वाला माता ➡️
ज्वाला माता को जोबनेर, खंगारोत राजपूतों की कुलदेवी कहा जाता है। नवरात्रों में इनके मंदिर में मेला लगता है।
✍ आमेर की शिलामाता का मंदिर ➡️
शिलामाता का मंदिर आमेर, Jaipur में स्थित है। शिलामाता कच्छवाहा राजवंश की आराध्य देवी है। शिलामाता के इस मंदिर में विराजमान मूर्ति पाल शैली में काले संगमरमर में निर्मित है। शिलामाता की इस मूर्ति को Jaipur के महाराजा मानसिंह प्रथम 1604 ईस्वी में जस्सोर (वर्तमान बांग्लादेश में ) नामक स्थान से बंगाल के राजा केदार को हराकर लाए थे। शिला माता के मंदिर में मेला चैत्र एवं अश्विन के नवरात्रों में लगता है। शिला माता के ढाई प्याला शराब चढ़ती है।
✍ नकटी माता ➡️
नकटी माता का मूल नाम - दुर्गा माता। इनका मंदिर Jaipur में अजमेर रोड पर जयभवानीपुरा में स्थित है। दुर्गा माता का प्रतीक चिन्ह त्रिशूल एवं तलवार है। नकटी माता की प्रतिमा की नाक चोरो ने काट ली थी इसलिए यह नकटी माता कहलाती है।
✍ कल्कि मंदिर ➡️
कल्कि मंदिर का निर्माण ईश्वरीसिंह ने करवाया था। इस मंदिर में संगमरमर से बना घोडा है जिसके खुर के नीचे एक गड्डा है।
✍ सिद्धेश्वर शिव मंदिर ➡️
यह मंदिर केवल शिवरात्रि के दिन ही आप जनता के लिए खुलता है। इस मंदिर का निर्माण रामसिंह द्वारा 1864 ईस्वी में करवाया गया था। यह मंदिर Jaipur के राजाओं का अपना निजी मंदिर था।
✍ खलकाणी माता का मंदिर ➡️
Jaipur के निकट लुनियावासल गांव में खलकाणी माता का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।
✍ Jaipur के अन्य मंदिर ➡️
मंदिर श्री माताजी मावलियान, चूलगिरि के जैन मंदिर, पद्मप्रभु मंदिर (पदमपुरा-बाड़ा), महामाई माता का मंदिर ( रेनवाल की लोकदेवी), बृहस्पति देव का मंदिर, ताड़केश्वर शिव का मंदिर आदि।
Jaipur जिले के प्रमुख किले/दुर्ग
✍ जयगढ़ दुर्ग, Jaipur ➡️
चिल्ह का टीला एवं संकटमोचक दुर्ग के उपनाम से प्रसिद्ध जयगढ़ दुर्ग (Jaipur) का निर्माण 16 वीं शताब्दी में मानसिंह प्रथम ने करवाया था। जयगढ़ दुर्ग को वर्तमान स्वरूप सवाई जयसिंह द्वारा 1726 ईस्वी में दिया गया। जयगढ़ दुर्ग का वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य (Jaipur शहर के वास्तुकार भी ) थे। मिर्जा राजा जयसिंह द्वारा जयगढ़ दुर्ग का निर्माण चिल्ह का टीला नामक पहाड़ी पर करवाया गया था। मिर्जा राजा जयसिंह के नाम पर भी इस दुर्ग का नाम जयगढ़ दुर्ग पड़ा। यह दुर्ग भारत का एकमात्र दुर्ग है, जहां तोप ढालने का एशिया का सबसे बड़ा कारखाना मिर्जा राजा जयसिंह ने स्थापित करवाया था। इस कारखाने में सवाई जयसिंह ने जयबाण/रणबंका तोप बनाई थी, जो एशिया की सबसे बड़ी तोप ( जयबाण तोप की नाली की लम्बाई 20.2 फुट है। ) थी। जयबाण तोप को एकबार चलाया गया तो उसकी गर्जना इतनी तेज थी कि पशु-पक्षिओं एवं महिलाओं के गर्भपात हो गए तथा उसका गोला चाकसू में गिरा जहां गोलेराव नामक तालाब बन गया। इसमें एक और लघु दुर्ग विजयगढ़ी दुर्ग है, जहां पहले राजकीय खजाना व कैदियों को रखा जाता था। विजयगढ़ी के पास ही तिलक की तिबारी स्थित है, जिसके चौक में जयबाण तोप रखी गयी है। जयगढ़ दुर्ग के पास सात मंजिला प्रकाश स्तम्भ स्थित हैं, जिसे दिवाबुर्ज कहते है, यह सबसे ऊँचा बुर्ज है। जयगढ़ दुर्ग के प्रमुख दरवाजे - डूंगर द्वार, भैरु द्वार तथा अवनि द्वार है। ऐसा माना जाता है की आमेर के कच्छवाहा वंश का दफीना (राजकोष)/धन-दौलत इस दुर्ग में रखा हुआ था, जिसकी खुदाई एवं खोज 1975 में इंदिरा गाँधी ने करवाई थी।
✍ आमेर का किला/दुर्ग ➡️
अम्बावती नगरी/अम्बरीशपुर/अंबर दुर्ग आदि के उपनामो से प्रसिद्ध आमेर के किले का निर्माण 1150 ईस्वी में दूल्हेराय ने करवाया था तथा इसका पुनर्निर्माण मानसिंह प्रथम ने करवाया था। यहां प्रसिद्ध मावठा जलाशय एवं दिलाराम का बाग़ स्थित है। आमेर किले में प्रमुख दर्शनीय स्थल - शिलादेवी माता मंदिर, शीशमहल, सुहाग मंदिर, मावठा झील, भूल-भुलैया, केसर क्यारी, दीवाने आम, दीवाने खाश महल आदि प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है। आमेर किले के जनाना देहरी भाग में रानी माताएं और राजाओं की रानियां रहती थी। आमेर दुर्ग को जून, 2013 में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल सूची में शामिल किया गया।
✍ नाहरगढ़ दुर्ग/किला ➡️
नाहरगढ़ दुर्ग का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह ने 1734 ईस्वी में मराठों के डर से करवाया था। इस दुर्ग का पूर्ण निर्माण एवं वर्तमान स्वरूप सवाई जयसिंह ने 1867 ईस्वी में करवाया था। नाहरगढ़ दुर्ग के प्रमुख उपनाम - Jaipur का मुकुट, सुदर्शनगढ़ (मूलनाम), Jaipur ध्वजगढ़, मीठड़ी का किला, सुलक्षण दुर्ग, टाइगर किला, महलों का दुर्ग आदि। इसका नाहरगढ़ नाम लोकदेवता नाहरसिंह भोमिया के नाम पर पड़ा है, जिनका स्थान किले की प्राचीर में प्रवेश द्वार के निकट बना हुआ है। नाहरगढ़ दुर्ग में माधोसिंह ने अपनी 9 रानियों के लिए 9 महल "विक्टोरिया शैली" में बनवाये थे।
✍ माधोराजपुर का किला ➡️
माधोराजपुर दुर्ग का निर्माण सवाई माधोसिंह ने फागी तहसील (जिला - Jaipur ) के माधोराजपुरा गांव में मराठों पर विजयोपरांत करवाया था। इस दुर्ग में सवाई जयसिंह की धाय रूपा बढ़ारण को बंदी बनाकर रखा गया था। इस दुर्ग में अमीर खां पिंडारी की बेगम को पकड़कर लेन वाले भगतसिंह नरुका की वीरता की कहानी जुडी हुई है।
✍ चौमू का किला ➡️
रघुनाथगढ़/चौमुहागढ/धराधारगढ़/सामंती दुर्ग आदि उपनामों से प्रसिद्ध चौमू दुर्ग निर्माण 1599 ईस्वी में ढूंढाड़ शैली में ठाकुर करणसिंह ने करवाया था। इस दुर्ग के पास सामोद हनुमानजी का मंदिर है। इसमें विराजमान प्रतिमा का एक पेअर पहाड़ी में धंसा हुआ है।
Jaipur जिले में वन्य जीव अभ्यारण्य
✍ नाहरगढ़ जैविक वन्य जीव अभ्यारण्य ➡️
इसकी स्थापना 22 सितम्बर, 1980 में की गयी थी। इसमें भारत का दुरसा "बायोलॉजिकल पार्क" एवं देश का तीसरा "बियर रेस्क्यू सेण्टर" स्थित है। यह राजस्थान का एकमात्र जैविक पार्क है। यह अभ्यारण्य जंगली सूअर, काला भालू, चीतल, बघेरा, सांभर, चिंकारा, हिरण आदि के लिए प्रसिद्ध है।
✍ जमुवारामगढ वन्य जीव अभ्यारण्य ➡️
जमुवारामगढ वन्य जीव अभ्यारण्य "Jaipur के पुराने शिकारगाह" के लिए प्रसिद्ध है। इस अभ्यारण्य में मुख्यत: धोक वन पाए जाते है। यह अभ्यारण्य लंगूरों,जगली बिल्ली, भेड़िया, जरक, बघेरा ,नीलगाय आदि के लिए प्रसिद्ध है। इसे 1982 में अभ्यारण्य घोषित किया गया था।
✍ संजय उद्यान मृगवन ➡️
यह राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर Jaipur के शाहपुरा के निकट स्थित है। इसकी स्थापना 1986 ईस्वी में की गयी। यहां पर नीलगाय, चिंकारा, चीतल आदि वन्य जीव-जंतु पाए जाते है।
✍ Jaipur जंतुआलय ➡️
यह जंतुआलय राजस्थान एवं देश का सबसे प्राचीन जंतुआलय है। Jaipur जंतुआलय की स्थापना 1876 ईस्वी में Jaipur के रामनिवास बाग़ में महाराजा सवाई रामसिंह द्वारा की गयी थी। यहां पर मगरमच्छों एवं घड़ियालों का प्रजनन केंद्र है। यहां पर हाल ही में बाघों का प्रजनन भी किया गया है।
✍ अशोक विहार मृगवन ➡️
इसकी स्थापना 1986 में की गयी थी। यह Jaipur में विधानसभा भवन एवं सचिवालय के पास विकसित किया गया है।
✍ कुलिश स्मृति वन ➡️
कुलिश स्मृति वन झालाना वन क्षेत्र में स्थापित है। इसमें जीरोफिटिक गार्डन, इको ट्यूरिज़्म पार्क, थाइरोफीटिक गार्डन एवं होलिस्टिक वैलनेस पार्क विकसित किये जा रहे है।
Jaipur के प्रमुख उद्यान
- रामबाग - रामबाग को 1836 ईस्वी में बनाया गया। रामबाग को केसर बड़ारण का बाग़ भी कहा जाता है।
- विश्व वृक्ष उद्यान - इस उद्यान की स्थापना झालाना डूंगरी पर्वतीय अंचल पर विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर 21 मार्च, 1986 में की गयी थी।
- सिसोदिया रानी का महल एवं बाग़ - इसका निर्माण 1730 ईस्वी सवाई जयसिंह द्वितीय की सिसोदिया रानी के लिए करवाया गया था।
- माँजी का बाग़ - इसका निर्माण 1729 में करवाया गया था। इसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय की सिसोदिया रानी के लिए करवाया गया था।
- विद्याधर का बाग़ - यह Jaipur शहर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य को समर्पित बाग़ है।
- नाटाणी का बाग़ - इसका निर्माण 1745 में करवाया गया था।
- रामनिवास उद्यान - इसका निर्माण महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय द्वारा करवाया गया था। यहां प्रदेश का एकमात्र प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय स्थित है।
- कनक वृन्दावन गार्डन - यह आमेर के आस-पास हिंदुस्तान चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा विकसित किया गया था।
- जयनिवास उद्यान - यह उद्यान Jaipur में स्थित है।
- सिसोदिया रानी का बाग़ - यह बाग़ भी Jaipur का पर्यटन की दृष्टि से एक आकर्षक स्थल हैं।
Jaipur के दर्शनीय स्थल | Jaipur के पर्यटन स्थल
✍ हवामहल, Jaipur➡️
5 मंजिले हवामहल का निर्माण 1799 में Jaipur के महाराजा सवाई प्रतापसिंह द्वारा लाल एवं गुलाबी पत्थर से करवाया गया था। कर्नल जेम्स टॉड ने इसकी आकृति कृष्ण भगवान के मुकुट के समान होना बताया। हवामहल के वास्तुकार लालचंद उस्ताद थे। हवामहल में कुल 953 खिड़कियां एवं 365 झरोखे है। हवामहल की पांच मंजिलों के नाम - शरद मंदिर, रतन मंदिर, विचित्र मंदिर, प्रकाश मंदिर और हवा मंदिर है।
✍ सिटी पैलेस/चंद्रमहल ➡️
7 मंजिले सिटी पैलेस/चंद्रमहल का निर्माण 1729-32 के बीच सवाई जयसिंह द्वारा वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य के निर्देशन में करवाया गया था। सिटी पैलेस के पूर्व के मुख्य द्वार को सिरह ड्योढ़ी कहते है तथा इसका प्रथम तल सुखनिवास महल कहलाता है। सिटी पैलेस Jaipur राजपरिवार का निवास स्थान था। सिटी पैलेस में विश्व के सबसे बड़े चांदी के दो पात्र रखे गए है, जो गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हैं। मुबारक महल Jaipur के सिटी पैलेस में स्थित है। एक अन्य मुबारक महल सुनहरी कोटी (टोक) में भी है।
✍ जलमहल ➡️
मानसागर झील में स्थित जल महल के निर्माण का श्रेय सवाई जयसिंह को दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सवाई जयसिंह ने अश्वमेघ यज्ञ में आमंत्रित ब्राह्मणों के भोजन एवं विश्राम की व्यवस्था इसी जलमहल में करवाई थी।
✍ आमेर का महल ➡️
इसका निर्माण कच्छवाहा राजा मानसिंह द्वारा 1592 में 'हिन्दू-मुस्लिम शैली' में करवाया था। यहां पर शीशमहल, जगत शिरोमणि मंदिर, शिलामाता माता का मंदिर आदि प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है।
✍ जंतर-मंत्र वेधशाला ➡️
जंतर-मंत्र वेधशाला का निर्माण 1728-38 के बीच सवाई जयसिंह द्वारा करवाया गया था। जंतर-मंत्र वेधशाला पांच वेधशालाओं में सबसे बड़ी है। अन्य चार वेधशालाएं - दिल्ली, उज्जैन, वाराणसी एवं मथुरा में है। जंतर- मंत्र वेधशाला को 2010 में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज (विश्व विरासत) की कल्चरण श्रेणी की सूची में शामिल किया गया।
✍ शीश महल ➡️
इसका निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह द्वारा आमेर के किले में करवाया गया था। इसे दिवान-ए-खास भी कहा जाता है। महाकवि बिहारी ने इसे 'दर्पण धाम' कहा है।
✍ Jaipur के अन्य ऐतिहासिक एवं पर्यटन स्थल ➡️
अल्बर्ट हॉल म्युजियम, मोती डूंगरी, सर्वतोभद्र महल, पन्ना मीणा की बावड़ी (आमेर), सामोद महल, स्टेच्यू सर्किल, मोती डूंगरी, जमुवारामगढ बांध, महाकवि बिहारी का महल (आमेर), जय निवास उद्यान, प्रीतम निवास, माधो निवास, मुबारक महल, सवाई मानसिंह संग्रहालय, गैटोर की छतरियां, महारानी की छतरी, संघीजी के जैन मंदिर, साल्ट म्यूजियम, विज्ञान उद्यान, मुगल गेट, आनंद पोल (हवामहल), केसर क्यारी, भारमल की छतरियां, रघुनाथ मंदिर (जमुवारामगढ), छपरवाड़ा बांध, विराटनगर आदि।
Jaipur जिले में खनिज सम्पदा
लोहा - राजस्थान में सर्वाधिक हेमेटाइट किस्म का लोहा मिलता है। राजस्थान में सर्वाधिक लोहा Jaipur से, जबकि सर्वाधिक कच्चा लोहा कानपुर से निकला जाता है। Jaipur जिले में लोह अयस्क की खाने - मोरीजा बनौला , चौमू (Jaipur ) में हैं।
काला संगमरमर - भैंसलाना, Jaipur काला संगमरमर निकलता है।
अन्य खनिज - चूना पत्थर, सफेद संगमरमर, रॉक फॉस्फेट, घीया पत्थर, केल्साइट, डोलोमाइट आदि।
Jaipur में प्रमुख विश्व विद्यालय
- राजस्थान विश्वविद्यालय - राजस्थान विश्वविद्याल की स्थापना 8 जून, 1947 में राजपूताना विश्वविद्यालय के रूप में की गयी थी। यह राजस्थान का प्रथम विश्वविद्यालय है। इसमें राजस्थान अध्ययन केंद्र स्थित है।
- होम्योपैथिक विश्वविद्यालय - इसकी स्थापना 2006-07 में की गयी थी।
- जगदगुरु रामानंद संस्कृत विश्वविद्यालय - इस विश्वविद्याल का निर्माण त्रिवेणी धाम के नारायण दासजी के सहयोग से Jaipur के मंदाऊ गांव में 6 फरवरी, 2002 में किया गया था। यह राजस्थान का प्रथम संस्कृत विश्वविद्यालय है।
- राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय - इसकी स्थापना 8 दिसंबर, 2005 में की गयी थी। यह राजस्थान का प्रथम मेडिकल विश्वविद्यालय है।
Jaipur जिले की नदियां एवं जलाशय
✍ सांभर झील, Jaipur ➡️राजस्थान के तीन जिलों Jaipur, नागौर एवं अजमेर जिलों की सीमा पर स्थित सांभर झील प्रशासनिक दृष्टि से Jaipur जिले के अंतर्गत आती है और यहां पर प्रशासनिक कार्य भी Jaipur द्वारा किया जाता है। सांभर झील Jaipur शहर से लगभग 65 किलोमीटर दूर स्थित है। सांभर झील का तल समुद्र तल से भी नीचा हैं। इसमें आंतरिक प्रवाह की मेंथा, रूपनगढ़, खारी एवं खंडेला नदियां आकर गिरती है। यह राजस्थान की सबसे बड़ी प्राकृतिक एवं खारे पानी की झील है। लेकिन बिजोलिया शिलालेख के अनुसार यह झील प्राकृतिक झील न होकर वासुदेव चौहान द्वारा निर्मित है। सांभर झील से देश का सर्वाधिक नमक (8.7 %) उत्पादित होता है। 'म्यूजियम सॉल्ट' को 'रामसर साइट' के नाम से पुकारा जाता है। सांभर झील पर नमक क्यारी पद्धति से बनाया जाता है। सांभर झील के किनारे सोडियम सल्फेट संयंत्र स्थापित है। केंद्र सरकार की और से 'हिंदुस्तान सांभर सॉल्ट लिमिटेड' की स्थापना 1964 में की गयी थी।
✍ बाणगंगा नदी ➡️
बाणगंगा नदी को अर्जुन की गंगा एवं ताला नदी भी कहा जाता है। बाणगंगा नदी के किनारे Jaipur में बैराठ सभ्यता विकसित है। इस पर दौसा में माधौसागर बांध परियोजना स्थित है। बाणगंगा नदी राजस्थान के तीन जिलों Jaipur, दौसा ( दौसा जिले की सम्पूर्ण जानकारी यहां से पढ़ें ) और भरतपुर ( भरतपुर जिले की सम्पूर्ण जानकारी यहां से पढ़ें ) | यह राजस्थान की दूसरी नदी हैं, जो अपना जल सीधा यमुना में डालती है। इसकी राजस्थान में कुल लम्बाई 240 किलोमीटर है।
✍ बांडी नदी ➡️
यह नदी Jaipur जिले में चाकसू के पास से होकर निकलती है।
Jaipur की प्रमुख प्राचीन सभ्यताएं
✍ बैराठ सभ्यता ➡️
बैराठ सभ्यता की खोज (सर्वप्रथम उत्खनन) 1936 में दयाराम साहनी ने की थी। बैराठ सभ्यता बाणगंगा नदी के मुहाने पर विकसित हुई। राजस्थान में बौद्ध धर्म का सबसे प्राचीन केंद्र बैराठ हैं। 1837 में कैप्टन बर्ट ने यहां पर अशोक का भाब्रु शिलालेख खोजा था। जिसके नीचे ब्राह्मी लिपि में 'बुद्ध-धम्म-संघ' तीन शब्द लिखे हुए हैं। इस शिलालेख को वर्तमान में 'कोलकाता संग्रहालय' में रखा गया हैं।
✍ नलियासर सभ्यता ➡️
यह सभ्यता सांभर में है। यहां से प्रतिहार कालीन मंदिर एवं चौहान युग से पूर्व की जानकारी प्राप्त होती है।
✍ Jaipur की अन्य प्राचीन सभ्यता स्थल➡️
जोधपुरा सभ्यता, चिथवाड़ी सभ्यता, कीरोडोत सभ्यता आदि।
Jaipur की प्रमुख हस्तकलाएँ
- बगरू प्रिंट/ बेल बूटा की छपाई - इसमें नीली या रंगीन पृष्ठभूमि पर चित्र चित्रित किये जाते है।
- ब्ल्यू पॉटरी - इस प्रिंटिंग को मानसिंह प्रथम लाहौर से Jaipur लाये थे। पद्मश्री कृपालसिंह इसके प्रसिद्ध कलाकार है। इस कला का सर्वाधिक विकास रामसिंह के काल में हुआ था।
- नामदेव छीपे/सांगानेरी प्रिंट
- Jaipur की अन्य हस्तकलाएं - लाख की चूड़ियां (मोकड़ी), ट्रॉफियां, पाव रजाई, साफे, मुरादाबादी काम, लहरियां, पेपर मेशी, कोफ्तगिरी, हाथी दांत के सामान, संगमरमर की मूर्तियां आदि।
Jaipur की प्रमुख अकादमियाँ
- राजस्थान राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल का मुख्यालय - 01 January, 1974 - Jaipur।
- राजस्थान स्टेट ओपन स्कुल का मुख्यालय - 21 March, 2005 - Jaipur।
- राजस्थान मदरसा बोर्ड का मुख्यालय - January, 2003 - Jaipur।
- राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी - 15 July, 1969 - Jaipur।
- राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी - 19 January, 1986 - Jaipur।
- राजस्थान उर्दू अकादमी - 1979 - Jaipur।
- राजस्थान ललित कला अकादमी - 24 November, 1957 - Jaipur।
- राजस्थान संगीत संस्थान - 1950 - Jaipur।
- राजस्थान सिंधी अकादमी - 1979 - Jaipur।
Jaipur के महत्वपूर्ण प्रश्न/तथ्य |
Jaipur चित्रशैली - इस शैली में मुग़ल शैली का सर्वाधिक प्रभाव देखा जाता है। इसमें लैला-मजनू, कामसूत्र, कुरान पढ़ती शहजादी, फकीरों को भिक्षा देती नारी, हाथी-घोड़ों के दंगल आदि के चित्रण मिलते है। 'आदमकद पोट्रैट' Jaipur शैली की प्रमुख विशेषता है। इस शैली में साहिबराम नामक चित्रकार ने ईश्वरीसिंह का राजस्थान में प्रथम आदमकद चित्र बनाया था। जो अब वर्तमान में सिटी पैलेस (Jaipur) में है। Jaipur शैली का स्वर्णकाल सवाई प्रतापसिंह के शासन काल को माना जाता है।
Jaipur के प्रमुख सम्प्रदाय - परनामी सम्प्रदाय, दादू सम्प्रदाय, रामानुज सम्प्रदाय, गौड़ीय सम्प्रदाय आदि।
Jaipur में मस्जिद/दरगाह/मकबरे - नालीसर मस्जिद, अली शाह पीर की दरगाह (दूदू), ख्वाजा हुसनमुद्दीन की दरगाह (सांभर), ईदगाह मस्जिद, अकबर की मस्जिद, सरगासूली/ईसरलाट आदि।
Jaipur की प्रमुख हवेलियां - पुरोहित जी की हवेली, मथुरा वालों की हवेली, चूरसिंह की हवेली, रत्नाकर भट्ट पुण्डरीक की हवेली आदि।
Jaipur प्रजामण्डल - राजपूताने के Jaipur राजघराने ने प्रजामण्डल को संरक्षण दिया। 1931 में कर्पूरचंद पाटनी द्वारा Jaipur प्रजामण्डल की स्थापना की गयी। जिसका मुख्य उद्देश्य समाज सुधार एवं खादी का प्रचार करना था। बाद में जमनालाल बजाज ( गांधीजी के पांचवें पुत्र) व हीरालाल शास्त्री ने 1936-37 में इसका पुनर्गठन किया था।
- विश्व में सबसे बड़ी सूर्य घड़ी 'सम्राट यंत्र' जंतर-मन्त्र वेद्यशाला में स्थित है।
- क्रिकेट की सबसे बड़ी ट्रॉफी Jaipur में बनी थी।
- पन्ने रत्न की अंतर्राष्ट्रीय मंडी Jaipur में है।
- नाहरगढ़ में शेर की मृत्य कैंसर से विश्व का प्रथम उदाहरण है।
- सबसे बड़े चांदी के दो पात्र 'सिटी पैलेस' Jaipur में स्थित है।
- एशिया की सबसे बड़ी एवं प्रथम सोने की टकसाल Jaipur में है।
- देश में प्रथम वर्ल्ड ट्रेड पार्क 30 जून, 2005 को Jaipur में स्थापित।
- देश एवं राजस्थान का पहला क्रिकेट इंदौर स्टेडियम "सवाई मानसिंह स्टेडियम" Jaipur में है।
- देश का पहला वैक्स वार म्यूजियम Jaipur में है।
- देश में प्रथम डेंटल स्टेम सेल बैंक Jaipur में है।
- भारत का सबसे सुंदर प्रथम सिनेमा घर - राजमंदिर सिनेमा (Jaipur में) हैं।
- देश का एकमात्र सॉल्ट म्यूजियम Jaipur में है।
- देश व राज्यस्थान का पहला हाथी गांव 'आमेर' में है।
- भारत का प्रथम होम्योपैथिक विश्वविद्यालय Jaipur में है।
- देश की सबसे बड़ी सब्जी मंडी 'मुहाना गांव' सांगानेर (Jaipur) में है।
- देश का सबसे बड़ा दूध पैकिंग स्टेशन - कोटपूतली (Jaipur) में है।
- भारत में सबसे बड़ी ऑयल डीपो में आग लगने की दुर्घटना 29 नवम्बर, 2009 को Jaipur में हुई थी।
- राजस्थान का पहला हिमीकृत वीर्य/सीमन बैंक - बस्सी (Jaipur) में है।
- राज्य का पहला महिला विधि विश्वविद्यालय - महात्मा ज्योति राव फुले विधि विश्व विद्यालय Jaipur में है।
बगरू का युद्ध - 1748 ईस्वी में ईश्वरी सिंह व माधोसिंह के मध्य लड़ा गया था जिसमें माधोसिंह जीता था।
तुंगा का युद्ध - यह युद्ध जुलाई, 1787 ईस्वी में मराठा महादजी सिंधिया व प्रतापसिंह कछवाहा के मध्य लड़ा गया था जिसमें प्रतापसिंह को विजय प्राप्त हुई थी।
- राजस्थान का पहला कैंसर अस्पताल Jaipur में है।
- राजस्थान का पहला संगीत महाविद्यालय - त्रिवेणी नगर (Jaipur) में 2002 में स्थापित।
- राजस्थान का पहला एवं सबसे बड़ा मछली उत्पादक बांध - कानोता बांध, Jaipur में है।
- किसान भवन - Jaipur में है।
- राजस्थान की पहली हाथी सफारी आमेर में।
- राजस्थान का पहला पक्षी चिकित्सालय - जोहरी बाजार (Jaipur) में स्थापित।
- राजस्थान का पहला महिला पोस्ट ऑफिस Jaipur में है।
- राजस्थान का पहला सौर ऊर्जा चलित एटीएम - मनोहरपुर (Jaipur) में है।
- राजस्थान की पहली आंवला मंडी - चौमू (Jaipur) में है।
- देश व राजस्थान का पहला इंदिरा गाँधी का मंदिर - अचरोल (Jaipur) में है।
- राजस्थान की पहली हाईटेक पब्लिक लाइब्रेरी Jaipur में है।
- 'अमर जवान ज्योति स्मारक' Jaipur में है।
- सर्वाधिक पंजिकृत फैक्ट्रियां एवं औद्योगिक इकाइयां Jaipur में है।
- सर्वाधिक नगरीय जनसँख्या वाला जिला - Jaipur जिला है।
- राजस्थान में सर्वाधिक विधानसभा क्षेत्र/सींटे Jaipur (19 सींटे) में है।
- राजस्थान में सर्वाधिक पटवार मंडल Jaipur में (613) है।
- सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला जिला - Jaipur जिला।
- सर्वाधिक अनुसूचित जाति की जनसंख्या वाला जिला - Jaipur जिला।
- राज्य में सर्वाधिक ओलावृष्टि Jaipur में होती है।
- Jaipur की मीठे पानी की झीलें - रामगढ़ झील, मानसागर झील, गलता झील आदि।
- पन्ना मीणा की बावड़ी Jaipur में स्थापित है।
- रामगढ़ बांध - दो पहाड़ियों की तंग घाटी को बांध कर बाणगंगा नदी पर बनाया गया है।
- टिंडा मंडी शाहपुरा (Jaipur) में है।
- टमाटर मंडी बस्सी (Jaipur) में है।
- राजस्थान का प्रथम सौर ऊर्जा विद्युतीकृत गांव - नयागांव, Jaipur में है।
- हिंदुस्तान सांभर सॉल्ट्स लिमिटेड - इसकी स्थापना 1964 में सांभर में की गयी। इसमें पूंजी में 60% केंद्र सरकार का एवं 40% राज्य सरकार का योगदान रहता है।
- मॉडर्न बेकरीज इंडिया लिमिटेड - इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा Jaipur में 1965 में की गयी।
- Jaipur मेटल्स - इस कारखानेमें बिजली के मीटर बनते है।
- मान इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन - इसमें लोहे के टॉवर बनते है।
- राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन - इस कारखाने में टीवी सेट्स बनते है।
- केप्सन मीटर कम्पनी - इसमें पानी के मीटर बनते हैं।
- राजस्थान का 'इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर टेक्नोलॉजी पार्क' कूकस (Jaipur) में है।
- रेश्ता नमक - सांभर झील में वायु प्रवाह द्वारा बनाये जाने वाले नमक को ही रेश्ता नमक कहा जाता है।
- क्यार नमक - सांभर झील में वाष्पीकरण विधि से प्राप्त होने वाले नामक को ही क्यार नमक कहते है।
- राजस्थान में सीमेंट का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला कारखाना - 'ग्रासिम सीमेंट लिमिटेड' कोटपूतली (Jaipur) में है।
- Jaipur में आयोजित महोत्सव - तीज महोत्सव, समर महोत्सव, पुतुल समारोह, पतंग महोत्सव, हाथी महोत्सव, कत्थक महोत्सव आदि।
- अविकनगरी/मालपुरी भेड़ वंश अनुसन्धान केंद्र Jaipur में है।
- Jaipur के महाराजा कॉलेज की स्थापना 1844 में तत्कालीन पोलिटिकल एजेंट कैप्टन लुडलो ने की थी।
- डॉल म्यूजियम (गुड़िया का संग्रहालय) Jaipur में स्थित है।
- श्री संजय शर्मा संग्रहालय चौड़ा रास्ता (Jaipur) में स्थित है।
- Jaipur के रामबाग महल का वास्तुकार सैमुअल स्विंटन जैकब था।
- Jaipur Metro Rail Project के प्रथम चरण का शिलान्यास 24 फरवरी, 2011 को किया गया था। इसका प्रथम चरण मानसरोवर से चांदपोल तक शुरू किया गया था।
- Jaipur के रियासत कालीन सिक्के - झाड़शाही सिक्के, हाली सिक्के, मुहम्मदशाही सिक्के आदि।
- 1857 की क्रांति के समय Jaipur का पोलिटिकल एजेंट 'कर्नल ईडन' थे।